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Success Story: विदेश में 20 साल बिताकर लौटे बिहार के लाल ने मखाने की खेती से रचा इतिहास, सैकड़ों को मिला रोजगार!

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बिहार के मिथिला में मखाने की खेती: परंपरा और आधुनिकता का संगम

बिहार का मिथिला क्षेत्र सदियों से मखाने की खेती के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहां के जलवायु और भौगोलिक स्थिति मखाने की उपज के लिए बेहद अनुकूल हैं। लेकिन एक समय था जब मखाने का उपयोग सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों और खीर में ही होता था। आज यह परंपरा नए आयाम छू रही है और मखाना एक हेल्दी स्नैक्स के रूप में दुनियाभर में मशहूर हो चुका है। इस बदलाव के पीछे कई किसान और उद्यमी हैं, जिनमें से एक नाम है मनीष आनंद का।

विदेश में 20 साल का अनुभव: बिहार की माटी से जुड़ने की प्रेरणा

मनीष आनंद, जो बिहार के रहने वाले हैं, ने 20 साल विदेश में काम किया। विदेश में रहते हुए उन्होंने कई चीजें सीखी, लेकिन अपने देश की मिट्टी और अपनी जड़ों से जुड़ने की ख्वाहिश हमेशा उनके दिल में बनी रही। 20 साल बाद, जब उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया, तो उनके मन में यह दृढ़ निश्चय था कि वह अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करेंगे। उन्होंने सोचा कि वह अपने अनुभव और विदेश में हासिल की गई तकनीकी जानकारी का उपयोग करके कुछ ऐसा करेंगे जिससे न केवल वह खुद बल्कि उनके क्षेत्र के लोग भी लाभान्वित हों।

Success Story: विदेश में 20 साल बिताकर लौटे बिहार के लाल ने मखाने की खेती से रचा इतिहास, सैकड़ों को मिला रोजगार!

मखाने की खेती: मनीष आनंद की नई शुरुआत

मनीष आनंद ने अपने घर वापस लौटते ही मखाने की खेती करने का निर्णय लिया। मखाने की खेती में पहले से ही बिहार का मिथिला क्षेत्र अग्रणी रहा है, लेकिन मनीष ने इसमें नए तकनीकों और आधुनिक तरीकों का समावेश किया। उन्होंने स्थानीय किसानों को भी इस दिशा में प्रशिक्षित किया और मखाने की खेती के लिए नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करना सिखाया।

मखाने की खेती में सबसे महत्वपूर्ण चीज है जल की उपलब्धता। मखाने की पैदावार जल पर निर्भर करती है, इसलिए मनीष ने जल प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने मखाने की खेती के लिए परंपरागत और आधुनिक तरीकों का मिश्रण किया, जिससे उत्पादन में सुधार हुआ और किसानों की आय में वृद्धि हुई।

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वोकल फॉर लोकल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल का असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम ने भी मनीष को प्रेरित किया। इस पहल के तहत, देश के हर राज्य में लोग स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और रोजगार सृजन करने में जुटे हुए हैं। मनीष ने भी इस मुहिम का हिस्सा बनते हुए मखाने की खेती को बढ़ावा दिया। उनकी मेहनत और लगन का परिणाम यह हुआ कि आज बिहार के मिथिला क्षेत्र से निकलने वाला मखाना न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी निर्यात हो रहा है। कहा जाता है कि दुनियाभर में इस्तेमाल होने वाले मखाने का 80 फीसदी हिस्सा बिहार से ही आता है।

सैकड़ों लोगों को रोजगार: एक नई दिशा

मनीष आनंद की इस पहल से न केवल उनकी अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई बल्कि उन्होंने अपने क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को रोजगार भी प्रदान किया। मखाने की खेती और इसके प्रसंस्करण के लिए उन्होंने स्थानीय लोगों को काम पर रखा। इसके अलावा, उन्होंने किसानों को भी प्रशिक्षित किया ताकि वे भी मखाने की खेती में सफलता प्राप्त कर सकें। आज, उनके इस प्रयास से न केवल मखाने की खेती में बढ़ोतरी हुई है, बल्कि इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को स्थायी रोजगार भी मिला है।

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मखाना: एक हेल्दी स्नैक्स के रूप में उभरता सितारा

मखाने का महत्व अब केवल पूजा-पाठ या खीर तक सीमित नहीं रह गया है। आज, मखाना एक हेल्दी स्नैक्स के रूप में उभर रहा है। इसे ड्राई फ्रूट की तरह भी इस्तेमाल किया जा रहा है। डॉक्टर भी इसे खाने की सलाह देते हैं, क्योंकि इसमें बहुत सारे पोषक तत्व होते हैं। मखाना न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। इसके अलावा, मनीष आनंद ने अपने ब्रांड के तहत मखाने को अलग-अलग फ्लेवर्स में पेश किया है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ गया है।

निष्कर्ष: मनीष आनंद की प्रेरणादायक कहानी

मनीष आनंद की कहानी न केवल एक सफल किसान की कहानी है, बल्कि यह उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। विदेश में 20 साल बिताने के बाद भी उन्होंने अपने देश की माटी से जुड़ने का फैसला किया और अपनी मेहनत से न केवल खुद को बल्कि अपने क्षेत्र के सैकड़ों लोगों को भी नई दिशा दी। उनकी यह कहानी दिखाती है कि अगर सच्ची लगन और मेहनत हो तो किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त की जा सकती है।

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By Krishna Kumar

Krishna Kumar is a seasoned writer with expertise in government schemes, finance, trending news, success stories, business ideas, Bollywood updates, and social media influencers. His insightful articles provide readers with valuable information and the latest coverage on these key topics.

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