पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के बाद, पार्टी अपने पहले काम के रूप में आर्टिकल-370 को खत्म करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पारित करेगी। उमर अब्दुल्ला का यह बयान चुनाव आयोग द्वारा जम्मू-कश्मीर में चुनाव की घोषणा के बाद आया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रस्ताव का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र से राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के फैसले का विरोध करना है।
विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद उमर अब्दुल्ला की प्रतिक्रिया
भारतीय चुनाव आयोग ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव की घोषणा की है, जो 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होंगे। मतगणना 4 अक्टूबर को होगी। इस घोषणा के बाद, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव के बाद उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
फारूक अब्दुल्ला का चुनावों में पार्टी का नेतृत्व
उमर अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि वे तब तक चुनाव में भाग नहीं लेंगे, जब तक जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल नहीं हो जाता। हालांकि, उनके पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला आगामी चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करेंगे। फारूक अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार के शासन के खत्म होने की उम्मीद जताते हुए चुनाव आयोग के फैसले का स्वागत किया।
अन्य राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं
चुनाव आयोग की इस घोषणा की सराहना जम्मू-कश्मीर के कई राजनीतिक दलों ने की है। कांग्रेस, भाजपा, माकपा और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी सहित कई दलों ने इसे जन आकांक्षाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। कांग्रेस के महासचिव जीए मीर ने कहा कि लोग एक लोकप्रिय सरकार के गठन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और चुनावों की घोषणा से उन्हें नई उम्मीद मिली है।
पीडीपी की प्रतिक्रिया
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी, इल्तिजा मुफ्ती ने भी चुनाव आयोग की घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पीडीपी इस चुनावी प्रक्रिया का समर्थन करती है और चुनावों के जरिए जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज को प्रमुखता दी जाएगी।
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